हौसला- Hosla- एन कुमार साहब की गज़लें
भरोसा उसकी वापसी का हमको रहा नहीं।
उसने वो भी सुना गैरों से जो हमने कहा नहीं।
दरिया होता तो बह जाता आंखों से मगर,
वो संमदर था उसका इक कतरा बहा नहीं।
हमने घर, शहर, अपने छोड़े जिसकी खातीर,
वो कहते हैं अभी तुमने तो कुछ भी सहा नहीं।
तूफान आया सबकुछ उजाड़ गया लेकिन,
वो हौसला ही था शायद जो अबतक ढहा नहीं!
जो मिलता था जमाने से इक ठिकाने पे हमसे,
लोग कहते हैं वो शख्स अब रहता यंहा नहीं!
हर शहर, हर गली, हर मकान छान मारा,
"कुमार " बताओ मैंने उसको, ढूँढा कहाँ नहीं...
© N kumar "$ahab"
fiza Tanvi
15-Dec-2021 06:43 PM
Good
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Seema Priyadarshini sahay
15-Dec-2021 04:29 PM
बहुत खूबसूरत
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Sana Khan
06-Dec-2021 07:04 PM
Good
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